नमस्कार दोस्तों, स्वागत है आपका हमारे इस आर्टिकल में। आज हम इस आर्टिकल में गेहूं फसल की संपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे जो की प्रतियोगी परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। यह आर्टिकल मुख्य रूप से प्रतियोगी परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है एवं हमारा मुख्य उद्देश्य यह है कि आपको शॉर्ट में संपूर्ण कंटेंट उपलब्ध करा सके धन्यवाद।
इस आर्टिकल में हम wheat crops for competition exams के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे।
wheat crops for competition exams
गेंहू [wheat 🌾]
★वा. नाम → ट्रिटीकम एस्टिवम(ऑटोपॉलिप्लॉइडी)
★कुल → ग्रेमिनी/पोएसी
★उत्पति स्थान → दक्षिण पश्चिम एशिया/तुर्की/ एशिया माइनर
★गुणसूत्र → 2n = 42
★पुष्पक्रम → स्पाइक / हेड/बाली/ईयर
★फल → केरियोप्सिस
★तना → कल्म (Culm)
★अकुरण → हाइपोजियल
★परागण → स्वपरागण
★गेहूं, जो, चावल व जई में चेस्मोगेमी [फुल निषेचन के बाद खुलते हैं] के कारण स्वपरागण पाया जाता है!
★प्रोटीन → 12-14% (खाद्यान फसलो में सर्वाधिक)
★वसा (तेल) → 1.5 - 2%
★सभी खाद्यान फसलों में तीन पंकेसर पाए जाते है।
अपवाद:- धान में 6 पुंकेसर पाए जाते हैं।
★ गेहूं की प्रोटीन को ग्लूटेन कहा जाता है इसलिए गेहूं का उपयोग बेकरी उत्पाद बनाने में किया जाता है।
★ गेहूं में चपाती की गुणवत्ता ग्लूटीन पर निर्भर करती है।
★ गेहूं C3 तथा एक बीज पत्री पादप है।
★ Qualitative long day plant
★ गेहूं में अगुणित गुणसूत्रों की संख्या (x) 07 होती है।
★ गेहूं के भ्रूणपौष में गुणसूत्रों की संख्या (3n) 63 होती है
★ गेहूं एवं जो अनुसंधान निदेशालय → करनाल, हरियाणा।
# ट्रिटिकेल :- 2n:56
~ प्रथम मानव निर्मित खाद्यान्न ट्रिटिकेल (Intergeneric) है।
~ जिसकी खोज "रिम्पू" नामक वैज्ञानिक ने की (1890)
~ ट्रिटिकेल - एलोपोलिप्लोइडी होता है।
~ ट्रिटिकेल ≈ गेहूँ (Triticum turgidum)x राई (Secale cereale)
~ इसकी प्रथम किस्म "DT-46"
~ New variety ≈ T-1419, PAU, Ludhiana
#आभासी गेहूँ (Pseudo Wheat) :- बकव्हीट (फेगोपायरम एस्कुलेन्टम),
कुल:- "पोलिगोजेनेसी”
~ स्यूडो गेहूँ का बुवाई समय जुन - जुलाई होता है।
किस्म - टोकियों
~ पुष्क्रम :- ऐकीन
~ पती व फूल में एल्केलॉयड “रूटिन” पाया जाता है।
# गेहूँ का वर्गीकरण/Types of wheat :-
A. Diploid (द्विगुणित):- [2n = 2x = 14]
1. ट्रिटिकम मोनोकोकम → 1% क्षेत्रफल में भारत में उगाया जाता है।
B. Tetraploid (चर्तुगुणित) :- [2n = 4x = 28]
1. ट्रिटिकम डाइकोकम (इमरगेहूँ) -उपमा बनाने (दक्षिणी भारत
में) हेतु, भारत में क्षेत्र 1%
2. ट्रिटिकम ड्यूरम (मेक्रोनी गेहूँ) - सूजी व सेम्या बनाने हेतु मध्य व दक्षिणी भारत में, 12% क्षेत्र. में, यह शुष्क क्षेत्र के लिए उपयोगी माना जाता है।
C. षटगुणित (Hexaplold) :- [2n = 6x = 42]
1. ट्रिटिकम एस्टीयम (सामान्य / मेक्सिकन / ब्रेड गेहूँ) - 87% क्षेत्रफल में भारत में उगाया जाता है।
2. ट्रिटिकम स्पेरोकोकम (भारतीय / बौना गेहूँ)
# जलवायु (climate):-
• वानस्पतिक वृद्धि – ठंडी एवं नम जलवायु
• जनन/ पुष्पन – गर्म एवं शुष्क जलवायु
• गेंहू की वृद्धि पुष्पन अवस्था कम तापमान (>15°C) के प्रति संवेदनशील होती है।
० Germination = 20-25°C
० Tillage = 16-20°C
० Growth = 20-23°C
० Ripening = 23-25°C
★बुआई का समय:- नवंबर के प्रथम सप्ताह से तृतीय सप्ताह।
★ गेहूं की बुवाई हेतु सर्वाधिक प्रचलित:- सीड ड्रिल द्वारा।
# बीज दर (Seed rate):-
० समय पर बुआई:- 100kg/hac
० देरी से बुआई :- 125kg/hac
० डिबलर के द्वारा:- 25-30kg/hac
० zero Tillage:- 140-150kg/hac
० संकर गेहूं की बीज दर :- 65kg/hac
# spacing:-
1. सामान्य अवस्था में
> कतार से कार की दूरी (R×R) 22.5 (20-25cm)
> पौधे से पौधे की दूरी (PxP) 8-10cm
2. देरी से बुवाई / लवणीय क्षारीय मृदाओं में कतार से कतार 20 सेमी. व पौधे से पौधे की 10 सेमी.
# Depth (गहराई) -
> बुवाई की गहराई प्रांकुर चोल (coleoptile) की लम्बाई पर निर्भर करती है।
> लम्बी किस्मों में 8-9 सेमी.
> ट्रिपल ड्वार्फ या छोटी या बौनी किस्मों में 3-4 सेमी.
> औसत गहराई 5 सेमी.
★बीजोपचार (Seed treatment):- FIR {Fungicide, Insectide & Rhizobium culture}
★जैव उर्वरक (Biofertilizer):- एजोटोबेक्टर
# FIRB :- Furrow irrigated raised bed system
• गेहूं की बुवाई का अत्याधुनिक तरीका
• New method of sowing of Wheat
• Bed :- 37.5 cm & Furrow:- 30cm, Total:- 67.5 cm
• Bed may be 90 or 120 cm
• Give higher yield
# BBF :-
• Broad Bed & Furrow method, ढाल (slope) 0.5%, Clay soil.
• मक्का व मूँगफली में अपनाई जाती है।
• Broad Bed :- 90cm, Furrow :- 45 cm & Raised bed :- 30cm
Short note on wheat crop
# सिंचाई (Irrigation) :- गेहूँ में सामान्यतः 6 सिंचाई करते है [CTJ FMD]
C- CRI stage (शीर्ष जड़ फुटान):-20-25 DAS (21 DAS)
T- Tillring (कल्ले निकलते समय):- 40-45 DAS
J- Jointing/ Booting (गांठ बनते समय):- 60-65 DAS
F- Flowering (पुष्पन बनते समय ):- 80 - 85 DAS
M-Milking (दुधिया अवस्था):- 100-105 DAS
D-Dough (दाना पकते समय ):- 115-120 DAS
★ अगर एक सिचाई हो तो : CRI अवस्था पर
★अगर दो सिचाई हो तो :- CRI, Late Jointing/Pre flowering stage 7
★ अगर तीन सिचाई हो तो :- CRI, Late jointing/ Pre flowering stage, Milking
★ जलमांग :- 450- 650 mm (45-65 cm)
# गेंहू की किस्मै [varieties]:-
★एक जीन डवार्फ (बोनी) किस्मै:- लरमा रोजो, सुजाता, सोनालिका, रोहिणी, गिरिजा, पूसा लरमा।
★डबल जीन डवार्फ किस्मै:- HD-2009(अर्जून), खेरचीया - 65, छोटी लरमा, कल्याण सोना,HD- 2329(जनक),HD-1981(प्रताप)।
★ट्रिपल जीन डवार्फ किस्मै:– हीरा, मोती, लाल बादशाह, ज्योति।
★ सिंचित क्षेत्रों में समय पर बुवाई :- राज 3077, राज 3777, सोनालिका
★ देरी से बुवाई:– लोक-1, राज 3765, सोनालिका
★ बारानी :- सुजाता, सी-306 (गेहूँ की सबसे लम्बी किस्म)
★ लवण सहनशील :- खारचिया 65 (K-65), राज 3077
★ संकर गेहूँ की किस्म :- हाइप्रेक्स 007 (जापान से)
★ ट्रिटिकम ड्यूरम (मेक्रोनी / लाल / मालण / कांठिया गेहूँ):– राज. 1911, जयराज, मालवराज, मेघदूत, मालविका (16 % प्रोटीन, अत्यधिक)
★राज 4120, UG-99 रस्ट के प्रति प्रतिरोधी किस्म है।
★ सबसे अच्छी गुणवता वाली चपाती हेतु उपयुक्त किस्म :- WH-147, Raj 3077
★1963, Lerma Roja 64-A & Sonaro-64 भारत में रिलीज हुई, जिनके कारण ही भारत में हरित क्रांति आई व हरित क्रांति में गेहूँ की HD 2329 (जनक) किस्म का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा।
Wheat crops for competitive exams in india
# कीट:–
1.दीमक (ओडेन्टोडर्मस ऑबेसस):–
•इसका मुख्य भोजन सेल्युलोज होता है, जिसका पाचन ट्राइकोनिम्फा नामक सूक्ष्म जीव के कारण होता है जो दीमक की आंत में पाया जाता है।
•दीमक का प्रकोप रेतीली मृदाओं तथा शुष्क क्षेत्रों में होता हैं।
•पौधो की उम्र के साथ लिग्नीन की मात्रा बढ़ती है। उदा दृसागवान
# रोग: -
1. रोली रोग (फँफूद जनित ) - वायु जनित
★ काली रोली - पक्सीनिया ट्रिटिसाई
★ पीली रोली – पक्सीनिया स्ट्रीपीफोरमीस
★ भूरी रोली – पक्सीनीया रिकोडीटा
★ भारतीय रोली रोग के जनक :- K.C मेहता
2. अनावृत कण्डवा रोग (लूज स्मट) आस्टीलागो ट्रिटिसाई (फँफूद) यह अन्तः बीजीय रोग होता है।
3. ईयर कॉकल रोग — निमेटोड (अग्युना ट्रिटिसाई)
4. टुण्डु रोग :– अग्युना ट्रिटसाई और क्लेवीबेक्टर (निमेटोड और बैक्टीरिया)
5.करनाल बंट - निवोसिया इण्डिका (फॅफूद) :- ० खेत से सड़ी मछली जैसी दुर्गंध आती है।
० दुर्गंध के लिए उतरदायी रसायन ट्राइमिथाइल एमाइन
० यह रोग गेहूँ की गुणवत्ता में कमी लाता है।
० आयात और निर्यात में समस्या पैदा करता है।
० इसकी खोज हरियाणा में हुई।
# अन्य महत्वपूर्ण बिन्दु :-
★गेहूँ के दानों की कठोरता "पियरलिंग इन्डेक्स” से मापते है।
★ गेहूँ का परीक्षण भार - 40gm
★ गेहूँसा का परीक्षण भार=2gm
★ गेहूँसा का रंग गेहूँ से हल्का होता है।
★ गेहूँ में बौनेपन का कारक साइकोसिल (ccc) है।
★ गेहूं व सरसों अन्तराषस्य 9: 1 में रखते है ।
★ गेहूँ का छीलन प्रतिषत (shelling %) :- 60
★ Number of seminal root :- 5, life cycle : 30 days
★ गेहूँ मे मल्टीलाईन (multiline) उत्पन्न की जाती है:- ब्रेक क्रॉस विधि द्वारा
★ गेहूं के भंडारण के लिए नमी:- 12%
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धन्यवाद।
Team → Agrowale