GK of rajasthan - राजस्थान रीति रिवाज प्रथा 2023 । राजस्थान का वर्तमान GK

 

 राजस्थान रीति रिवाज प्रथा 2023 

  नमस्कार दोस्तों, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। आज हम आपके लिए राजस्थान जीके के कुछ टॉपिक लेकर आए हैं जो सबसे विश्वसनीय है और आपकी तैयारी एवं परीक्षा की दृष्टि से बहुत ही important है।

तो आइए आपको लेकर चलते है हमारे आर्टिकल में  और जानते है rajasthan gk 2023 मे आने वाले कुछ रीति रिवाज पर्थ जो अमूमन कॉम्पटीसीन की परीक्षा मे आते है । हमने इस लेख मे राजस्थान  प्रथा के बारे मे संक्षिप्त मे जानकारी प्रदान की है 



     _______ रीति रिवाज ___________


Gk of rajasthan

#विवाह से संबंधित गीत :-

{1} सगाई – होने वाले वर व वधु के माता – पिता आपस में जो रिस्ता तय करते हैं उसे सगाई कहते हैं।

★ डूंगरपुर – बांसवाड़ा में सगाई को ‘सगपन’ कहते है।


Note— दो परिवारों के मध्य व्यवहारिक संबंध स्थापित करवाने वाला व्यक्ति बिदोलिया कहलाता है।


{2} टीका/तिलक— यह सगाई के बाद व विवाह से पूर्व की रस्म है वधु पक्ष द्वारा विवाह से पूर्व दूल्हे को दी गई भेंट।

Note— पश्चिमी राजस्थान में यह प्रथा सर्वाधिक चारण समाज में है।


{3} चिकनी कोथली— वर पक्ष द्वारा विवाह से पूर्व वधु को भेंट किए गए वस्त्र – सामग्री और आभूषण ।


{4} लगन पत्रिका या पीली चिट्ठी या सावा— यह वधु पक्ष द्वारा वर पक्ष को भेजी जाती है जिसमें विवाह की तिथि व समय अंकित होता है।


{5} कुमकुम पत्रिका/पीले चावल— निमंत्रण पत्र।


{6} विनायक स्थापना — गणपति जी के पाने पर भगवान श्री गणेश जी की स्थापना की जाति है जिसे विनायक स्थापना कहते हैं।

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{7} बान बैठना/ पिट्ठी करवाना — दुल्हे और दुल्हन को उनके घर में लकड़ी के पाटे पर बिठा दिया जाता है और महिलाएं मागलिक गीत गाते हुए हल्दी मिश्रित आटे का लेप लगाती है। और इस दौरान बान भरने की रस्म होती है।


{8} कांकण डोरा— दूल्हे व दुल्हन के हाथ या पेर मे बांधा गया मांगलिक धागा।


{9} बिंदौला— विवाह से पूर्व दूल्हा व दुल्हन अपने रिस्तिदार के वहाँ जाकर जो भोजन करते है उसे बिंदौला कहते है।


 {10} बीन्दौली— दुल्हे को घोड़ी पर बेठाकर गाँव या मोहले

का भ्रमण करवाया जाता हैं।


{11} बरी पडला→ वर पक्ष द्वारा दुल्हन के लिए ली गई वस्त सामग्री व आभूषण


{12} सामेला/ मधुपर्क/ ठूमाव → वधु पक्ष द्वारा बरात स्वागत की रस्म।


 {13} फलसड़ा— विवाह के समय तीलक लगाकर मेहमानो का स्वागत करने की रस्म।

{14} तोरण— लड़की का मांगलिक चिन्ह जिसे शक्ति व विजय का प्रति माना जाता है


{15} फेरे — 3½ , 4व7 परिक्रमा


{16} पेहरावणी, रंगभरी, समडूंगी— वधु पक्ष द्वारा बारातियों को दी गई भेंट।

RAJASTHAN रीति रिवाज - GK of rajasthan

# विवाह से सम्बंचित भोजन :- 


(1) मारत/जिनोटन— वर पक्ष द्वारा बरात प्रस्थान से पूर्व गांव व मोहल्लेवाले को दिया गया भोजन।


(2) कुंवर कलेवा→ वधु पक्ष द्वारा बारात स्थल पर लाया गया नाश्ता।


(3) कुंवारी भात— वधु पक्ष द्वारा कन्या के फेरो से पूर्व बरातियों को दिया गया भोजन।


(4) परणी जान → वधु पक्ष द्वारा कन्या के फेरो के बाद अगले दिन सन्ध्या को बारातियों को दिया गया भोजन।


(5) बढ़ार → वर पक्ष द्वारा दिया गया आसीरवाद समारोह या प्रतिभोज।


राजस्थान रीति रिवाज परथा । GK of rajasthan


(1) ईकताई → दर्जी द्वार दूल्हे व दुल्हन के कपड़ो का नाप लेना।


(2) मुगधना — विवाह के समय मिठाई बनाने के लिए प्रयुक्त लकड़ियां।


(3) जुआ –जुई— इस रहम से घर के मुख्या का निर्धारण होता है।


( 4) बिनोटा → दूल्हे व दुल्हन के लकड़ी के जूते।


 (5) टुंटिया— बारात प्रस्थान के बाद वर पक्ष की महिलाएं घर में विवाह का स्वांग रचती है जिसे टूंटिया कहते हैं


(6) बत्तीसी नूतना → बहिन के पुत्र-पुत्री के विवाह के अवशर पर द्वारा भाई को मायरा लाने का न्योन्ता देना।


(7) माहेरा/ भात — बहिन के पूत- पूत्री के विवाह के अवसर पर भाई व पिहर वालों द्वारा भेंट किये गए वस्त्र-सामग्री व आभूषण


 (8) अणवर/ओलिन्दी — नव विवाहीत वधू के साथ प्रथम बार उसके ससुराल जो उसकी सहेली जाती है उसे अनवर या ओलिन्दी कहते है।


 (9) नाता— विवाह के पश्चात सम्बन्ध विच्छेद हो जाने पर अन्य जिवन साथी के साथ जीवन निर्वाह करना नाता कहलाता हैं।

 

Note:– यह एक मात्र ऐसी वेवाहिक रस्म है जिसमे किसी भी व्यवहायिक रस्म का पालन नहीं कीया जाता।


 (10) गोणा/मुकलावा/आणो— विवाहित अव्यवस्क कन्या वयस्क होने पर जब प्रथम बार ससुराल जाति है जिसे गोणा/मुकलावा/आणो कहा जाता है।


राजस्थान जीके 2023

# जन्म से सम्बन्धित रीति रिवाज:



(1) जन्मघुटी→ बच्चे के जन्म लेने पर घर का कोई बुजुर्ग सदस्य बच्चे को जन्म घुट्टी पिलाती है।


(2) छठी का पूजन→ बच्चे के जन्म के छठे दिन घर में जागरण रखा जाता है।


(3) कुआ/जलवा पूजन→ इस दिन बच्चे की मां अन्य स्त्रियों के साथ कुआ पर जल की पूजा करने जाती है।


(4) सूरज पूजन/आख्या पूजन→ इस दिन बच्चे की मां को लड़के के जन्म पर “पीला पोमचा” उड़ाया जाता है और लड़की के जन्म पर “गुलाबी पोमचा” उड़ाया जाता है और बच्चे के गले में सूर्य–चंद्रमा व स्वास्तिक के मांगलिक चिन्ह पहनाए जाते हैं।


(5) निष्क्रमण→ इस दिन बच्चे की मां और बच्चे को प्रथम बार बाहर लेजाकर सूर्य भगवान के दर्शन करवाए जाते हैं।


(6) निवाण/नवाण→ इस दिन बच्चे की मां और बच्चे को प्रथम बार स्नान करवाया जाता है।

Note——अगर बच्चे का जन्म विशेष नक्षत्र में हुआ हो तो बच्चे की मां और बच्चे को 18 या 27 गांवों के कुओं के पानी से नहलाया जाता है।


(7) नामकरण→ बच्चे का नाम रखा जाता है।


(8) अन्नपराशन/बोटन→ बच्चे को प्रथम बार अन दिया जाता है सामान्यतः छह माह की अवस्था में


(9) मुण्डन/झडूल्या/चूडाकर्म→ इस दिन बच्चे के प्रथम बार बाल काटे जाते हैं।


(10) होलर→ जन्म से संबंधित गीतों को होला कहा जाता है।


(11) छेड़े→ नवजात शिशु की मृत्यु पर छेड़े गाए जाते हैं।



तो दोस्तों मैं आशा करता हूं कि हमारे द्वारा दी गई जानकारी GK of rajasthan 2023 आपके लिए helpful हुई होगी।

 उम्मीद करता हूं की आपको हमारा आर्टिकल अच्छा लगा होगा। आप कॉमेंट कर के हमारी सामग्री के बारे मैं अपने विचार प्रकट जरूर करें।

धन्यवाद।


Team — agrowale




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